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BINAA PYAAR SAMBHOG MAAR MANA KAAM NIBATANE JAISAA

बिना प्यार सम्भोग मार मन काम निबटने जैसा
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बिना प्यार सम्भोग मार मन काम निबटने जैसा
तन की रहत मन प्यासा मरता जैसे का तैसा
चाहत सुख की मिलन अधूरा पर तरसा रह जाता
शव सी पसरी काया से तूफ़ान गुजरता आता

इधर चले पतवार उधर नदिया पर सूखी सूखी
चढ़ चलता निबटाए बेबस यह धर टांगें रूखी
भरे लबालब रस गर दिल दोनों न भिड़े टकराएं
दोनों तरफ न जले आग तो मुंह लटका इक आए

अजब रवायत जग की चला काम बस यूं ही जाता
तरस प्यार में हव्वा दूजी आदम तक तक आता
हाल वही औरत का रह बिन प्यार मरी रह आती
भरी लंड इक ख्वाब दिए बुर दूजे बेबस जाती

रस जाने क्यों मज़बूरी का रिश्ता मारा जाता
बिना प्यार खेले बुर लंड न मज़ा चुदन का आता

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Written by premonmayee
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